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शादी में नाचने वाली दो पाकिस्तानी महिलाएँ ‘जिंदा

पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता का कहना है कि शादी के दौरान जिन पांच महिलाओं के कथित ‘मौत’ की बात कही जा रही थी, वो जिंदा हैं.
मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉक्टर फरजाना बारी ने बीबीसी से बातचीत में कहा है कि वो पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ उन दो महिलाओं से मिली थी.
पहले बताया जा रहा था कि खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत में कोहिस्तान जिले में शादी समारोह में नाच के दौरान तालियां बजानेवाली पांच महिलाओं को कबायली परिषद ने ‘मौत’ की सजा दे दी थी.
मानवाधिकार कार्यकर्ता के साथ गई टीम बांकी तीन महिलाओं से नहीं मिल सकी. हालांकि उन्होंने बीबीसी को बताया कि वहां के बड़े-बुजुर्गों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वे महिलाएं भी जिंदा हैं.

अभी भी खतरा

"उस क्षेत्र में लोगों द्वारा कानून को अपने हाथ में लेने की बहुत ही पुरानी परंपरा है, इसलिए अधिकारियों को चाहिए कि वे उन महिलाओं के उपर नजर रखे. ऐसी परिस्थिति में हम निश्चिंत होकर नहीं बैठ सकते"
मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉक्टर फरजाना बारी
पथरीले और पहाड़ी रास्ते से कई घंटे की चढ़ाई चढ़ने के बाद वहां पहुंची फरजाना बारी ने बीबीसी को बताया, “अगर दो महिलाएं जिंदा हैं तो मुझे भरोसा है कि बांकी तीनों भी जिंदा ही होगीं.”
फरजाना बारी ने बताया कि वो तीनों महिलाएं कहीं इससे भी ज्यादा पथरीले जगह पर रहती हैं, जहां पहुंचना और भी मुश्किल था.
फरजाना ने बताया, “मुझे नहीं लगता है कि कबायली परिषद ने उन महिलाओं के खिलाफ मौत का फरमान जारी किया है. लेकिन मुझे अब आशंका हो रही है कि उन महिलाओं के उपर जान का खतरा बढ़ गया है, क्योंकि वह वीडियो सब जगह पहुंच गया है.”
फरजाना बारी ने कहा, “उस क्षेत्र में लोगों द्वारा कानून को अपने हाथ में लेने की बहुत ही पुरानी परंपरा है, इसलिए अधिकारियों को चाहिए कि वे उन महिलाओं के उपर नजर रखे. ऐसी परिस्थिति में हम निश्चिंत होकर नहीं बैठ सकते.”
पाकिस्तान के मुख्य न्यायधीश जस्टिस इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी ने अटर्नी जनरल इरफान कादिर को आदेश दिया था कि बुधवार को वहां जाएं और इस घटना की विस्तृत जानकारी हासिल करके अदालत में पेश करे.
इस वीडियो को दो महीना पहले रिलीज किया गया था. जहां वह घटना घटी थी, वहां नजदीक के हाईवे से पैदल जाने में कम से कम दो दिन का समय लगता है. सिर्फ हेलीकॉप्टर से ही वहां जल्दी पहुंचा जा सकता है

BCCI


शर्म करो बीसीसीआई.....

भारतीय क्रिकेट
टीवी के लोकप्रिय शो कौन बनेगा करोड़पति में एक प्रतियोगी ने भारतीय क्रिकेटरों का ज़िक्र करते हुए एक कड़वी किंतु कई बार दोहराई जा चुकी बात कही. उन्होंने कहा- खिलाड़ी पैसे के लिए खेलते हैं और उनकी सेटिंग होती है.
भारतीय क्रिकेटरों के लिए ये कोई नई बात नहीं है. लेकिन ये धारणा आम होती जा रही है, ये चिंता का विषय है. खिलाड़ी पैसे के लिए खेल रहे हैं, देश के लिए नहीं और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को भी पैसे का ही दंभ है- ये बात आलोचक कह-कह कर थक गए हैं.
लेकिन नित नए घटनाक्रम इन आलोचनाओं की गंभीरता बढ़ा रहे हैं. क्लब क्रिकेट के लिए अपने शरीर की परवाह न करना और फिर टेस्ट और वनडे में एक के बाद एक खिलाड़ियों का घायल होना और मैचों से अलग होना- गंभीर सवाल उठा रहा है.
फिर भी अगर सबसे ज़्यादा ग़ैर ज़िम्मेदार और बिना किसी रणनीति के क़दम बढ़ाने का ठीकरा किसी के सिर फोड़ा जाना चाहिए, तो वो है भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड.
बीसीसीआई की नाक इतनी ऊँची है कि उसे आरटीआई में आना मंज़ूर नहीं. खेल मंत्री की बात उसे सनक लगती है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को वो ठेंगे पर रखता है.
पिछले दिनों आईसीसी पुरस्कार समारोह लंदन में आयोजित हुए. भारतीय टीम नहीं गई. सवाल उठने स्वाभाविक थे, क्योंकि भारतीय टीम इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सिरीज़ खेल रही है और वो उस दिन लंदन में ही थी.

सवाल

तो क्यों नहीं आई भारतीय टीम. सवाल बड़ा है और जवाब घूम-फिर कर ऐसे दिग्भ्रमित करने वाले हैं कि पता नहीं चल रहा कि ये सिर्फ़ निमंत्रण देर से पहुँचने का मामला है या वर्चस्व की लड़ाई है या फिर शरद पवार और बीसीसीआई में बढ़ती दूरियाँ वजह हैं.
बीसीसीआई
बीसीसीआई सवालों के जवाब से मुकर रही है
मीडिया में तरह-तरह की बातें चल रही हैं. मसलन बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को पुरस्कार समारोह में जाने से मना किया, तो शरद पवार और बीसीसीआई की जंग खुलकर सामने आ गई है या फिर आईसीसी से नाराज़ है बीसीसीआई.
वजह जो भी हो, लेकिन एक बात तो तय है कि बीसीसीआई की जानकारी के बिना ऐसा हो नहीं सकता था. आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हारून लॉरगेट कह रहे हैं कि ये शर्मनाक घटना है, तो बोर्ड के अधिकारी मीडिया से कह रहे हैं कि लॉरगेट को जो कहना है, कहते रहें.
आईसीसी के पुरस्कार काफ़ी प्रतिष्ठित हैं और भारतीय खिलाड़ी बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लेते रहे हैं. ज़्यादातर मौक़ों पर ये पुरस्कार ऐसे समय और उस शहर में हुए हैं, जहाँ भारतीय टीम पहले से मैच खेल रही होती है.
तो ऐसा क्या आन पड़ा कि भारतीय खिलाड़ियों ने पुरस्कार समारोह का एक तरह से बहिष्कार कर दिया. ज़्यादा नहीं थोड़ा दिमाग़ लगाने पर ही ये अंदाज़ा हो जाता है कि इसके पीछे बीसीसीआई को छोड़ कोई नहीं हो सकता.
अगर आईसीसी पर दबाव बनाने या फिर क्रिकेट की दुनिया में वर्चस्व स्थापित करने का यही हथियार बोर्ड के पास बचा है, तो सिर्फ़ इतना ही कहा जा सकता है- शर्म करो बीसीसीआई

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प्यार के जुनून में किए 65,000 फोन-कॉ

एक साल में अपने मित्र को हर दिन 178 बार फोन किया यानि लगभग 7 फोन-कॉल हर घंटे.
नीदरलैंड की एक महिला ने अपने प्रेमी के प्यार के जुनून में एक साल के भीतर उसे 65,000 बार फोन किया.
इस महिला पर प्रेमी का पीछा करने और उसे परेशान करने को लेकर कार्रवाई की जा रही है और ज़ाहिर है वो इससे खुश नहीं.
मामला रॉटरडैम शहर का है जहां एक व्यक्ति ने लगातार मिल रहे फोन, ईमेल और मोबाइल संदेशों से परेशान होकर पुलिस से संपर्क किया.
जांच करने पर 42 वर्षीय एक महिला के घर छापा मारा गया जहां से कई मोबाइल फोन बरामद हुए. इन सभी फोन से केवल एक ही नंबर पर फोन किया गया था.
बीबीसी संवाददाता एना हूलीगन के मुताबिक इस महिला पर अपने पुरुष मित्र के इस फोन नंबर पर 65,000 बार फोन करने का आरोप है.

हर दिन 178 बार फोन

इस महिला ने पिछले एक साल में अपने मित्र को हर दिन 178 बार फोन किया यानि लगभग 7 फोन-कॉल हर घंटे.
हालांकि जिस व्यक्ति को यह महिला अपना पुरुष-मित्र बता रही है उनका कहना है कि इस महिला के साथ उनका कोई भावनात्मक या शारीरिक संबंध नहीं.
इस मामले में शुरुआती कार्रवाई के तौर पर महिला को हिरासत में लेकर उन्हें हिदायत दी गई वो इस तरह फोन न करें लेकिन अदालत से बाहर आने के कुछ ही घंटों बाद इस महिला ने फिर उसी नंबर पर फोन करना शुरु कर दिया.
मामला अब फिर अदालत में है और दोनों पक्ष न्याय की उम्मीद कर रहे हैं
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