Showing posts with label BCCI. Show all posts
Showing posts with label BCCI. Show all posts

BCCI


शर्म करो बीसीसीआई.....

भारतीय क्रिकेट
टीवी के लोकप्रिय शो कौन बनेगा करोड़पति में एक प्रतियोगी ने भारतीय क्रिकेटरों का ज़िक्र करते हुए एक कड़वी किंतु कई बार दोहराई जा चुकी बात कही. उन्होंने कहा- खिलाड़ी पैसे के लिए खेलते हैं और उनकी सेटिंग होती है.
भारतीय क्रिकेटरों के लिए ये कोई नई बात नहीं है. लेकिन ये धारणा आम होती जा रही है, ये चिंता का विषय है. खिलाड़ी पैसे के लिए खेल रहे हैं, देश के लिए नहीं और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को भी पैसे का ही दंभ है- ये बात आलोचक कह-कह कर थक गए हैं.
लेकिन नित नए घटनाक्रम इन आलोचनाओं की गंभीरता बढ़ा रहे हैं. क्लब क्रिकेट के लिए अपने शरीर की परवाह न करना और फिर टेस्ट और वनडे में एक के बाद एक खिलाड़ियों का घायल होना और मैचों से अलग होना- गंभीर सवाल उठा रहा है.
फिर भी अगर सबसे ज़्यादा ग़ैर ज़िम्मेदार और बिना किसी रणनीति के क़दम बढ़ाने का ठीकरा किसी के सिर फोड़ा जाना चाहिए, तो वो है भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड.
बीसीसीआई की नाक इतनी ऊँची है कि उसे आरटीआई में आना मंज़ूर नहीं. खेल मंत्री की बात उसे सनक लगती है और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद को वो ठेंगे पर रखता है.
पिछले दिनों आईसीसी पुरस्कार समारोह लंदन में आयोजित हुए. भारतीय टीम नहीं गई. सवाल उठने स्वाभाविक थे, क्योंकि भारतीय टीम इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सिरीज़ खेल रही है और वो उस दिन लंदन में ही थी.

सवाल

तो क्यों नहीं आई भारतीय टीम. सवाल बड़ा है और जवाब घूम-फिर कर ऐसे दिग्भ्रमित करने वाले हैं कि पता नहीं चल रहा कि ये सिर्फ़ निमंत्रण देर से पहुँचने का मामला है या वर्चस्व की लड़ाई है या फिर शरद पवार और बीसीसीआई में बढ़ती दूरियाँ वजह हैं.
बीसीसीआई
बीसीसीआई सवालों के जवाब से मुकर रही है
मीडिया में तरह-तरह की बातें चल रही हैं. मसलन बीसीसीआई ने खिलाड़ियों को पुरस्कार समारोह में जाने से मना किया, तो शरद पवार और बीसीसीआई की जंग खुलकर सामने आ गई है या फिर आईसीसी से नाराज़ है बीसीसीआई.
वजह जो भी हो, लेकिन एक बात तो तय है कि बीसीसीआई की जानकारी के बिना ऐसा हो नहीं सकता था. आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हारून लॉरगेट कह रहे हैं कि ये शर्मनाक घटना है, तो बोर्ड के अधिकारी मीडिया से कह रहे हैं कि लॉरगेट को जो कहना है, कहते रहें.
आईसीसी के पुरस्कार काफ़ी प्रतिष्ठित हैं और भारतीय खिलाड़ी बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लेते रहे हैं. ज़्यादातर मौक़ों पर ये पुरस्कार ऐसे समय और उस शहर में हुए हैं, जहाँ भारतीय टीम पहले से मैच खेल रही होती है.
तो ऐसा क्या आन पड़ा कि भारतीय खिलाड़ियों ने पुरस्कार समारोह का एक तरह से बहिष्कार कर दिया. ज़्यादा नहीं थोड़ा दिमाग़ लगाने पर ही ये अंदाज़ा हो जाता है कि इसके पीछे बीसीसीआई को छोड़ कोई नहीं हो सकता.
अगर आईसीसी पर दबाव बनाने या फिर क्रिकेट की दुनिया में वर्चस्व स्थापित करने का यही हथियार बोर्ड के पास बचा है, तो सिर्फ़ इतना ही कहा जा सकता है- शर्म करो बीसीसीआई
  • Invite and Win Free Recharge