car


शराब पर दौड़ेगी गाड़ी!


syed shahnawaj alam


व्हिस्की बनाते समय निकले कचरे का इस्तेमाल होगा ब्यूटामॉल बनाने में.
शराब पीकर गाड़ी चलाना ग़लत है लेकिन यदि गाड़ी को व्हिस्की का स्वाद लग जाए तो क्या हो?
स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने व्हिस्की बनाने के दौरान उससे निकले अन्य पदार्थों से जैविक ईंधन बनाया है जिससे गाड़ियों के ईँधन की तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा.
एडिनबरा नेपियर यूनिवर्सिटी ने इसके लिए पेटेंट की अर्ज़ी भी दाखिल कर दी है.
उनका कहना है कि ये ईंधन एथनॉल जैसे मौजूदा जैविक ईँधनों से तीस प्रतिशत ज़्यादा कारगर है.
वैज्ञानिकों ने इस पर पिछले दो सालों से काम किया है.
उन्होंने इसके लिए एक ऐसी विधि का इस्तेमाल किया है जिसे एक सदी से भी ज़्यादा समय से ब्यूटामॉल जैविक ईंधन बनाने के लिए अपनाया गया है.

व्हिस्की का कचरा 

लेकिन ये प्रक्रिया जो कभी काफ़ी लोकप्रिय थी बेहद मंहगी मानी गई है.
लेकिन शोध दल का कहना है कि उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया और व्हिस्की बनाने के दौरान निकले कचरे का इस्तेमाल किया और ब्यूटामॉल बनाया.
इस शोध दल का नेतृत्व करनेवाले प्रोफ़ेसर मार्टिन टैंगने का कहना है कि ब्यूटामॉल में लगभग उतनी ही उर्जा है जितनी पेट्रॉल में.
उनका कहना है कि यदि उनकी योजनाओं को कामयाबी मिलती है तो दो साल के भीतर ये बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगा.
इसके अलावा एथनॉल जैसे अन्य जैविक ईंधनों की तरह इसके इस्तेमाल के लिए आधुनिक कारों को मंहगे उपकरण नहीं लगाने होंगे

Electric car


एक अणु से बनी ‘इलेक्ट्रिक कार’ की टेस्ट ड्राइ

अणु
इससे पहले भी अणु से चलने वाली काफ़ी चीज़ों को सामने लाया गया है.
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी कार का प्रदर्शन किया है, जिसे बेहद सावधानीपूर्वक तरीक़े से केवल एक अणु से डिज़ाइन किया गया है और उसे विश्व की सबसे छोटी इलेक्ट्रिक कार कहा जा सकता है.
जिस अणु से इस गाड़ी को बनाया गया है, उसकी चार शाखाएं हैं जो पहिए की तरह काम करती हैं और धातु से हल्का सा करंट दिए जाने पर घूमती हैं.
मात्र 10 बिजली के झटकों से इस गाड़ी को एक मीटर के छह अरबवें हिस्से की दूरी तक चलाया गया.
इस इलेक्ट्रिक गाड़ी की ‘बैट्रियां’ एक ऐसे सुरंगी माइक्रोस्कोप की मदद से मिलती है, जो स्कैन करने में सक्षम है.

काम

इस माइक्रोस्कोप का छोर जैसे ही अणु के पास पहुंचता है, वैसे ही इलेक्टोन यानि अतिसूक्ष्म परमाणु उस पर छलांग लगाते हैं.
इस प्रणाली की मोटर चार ‘आण्विक रोटर’ से जुड़ी होती है, जो गाड़ी के पहिए की तरह काम करती है.
इस गाड़ी का टेस्ट ड्राइव नैनोटेक्नोलॉजी के ज़रिए किया गया.
"अगर आप अपने आस-पास देखें तो हर जैविक प्रणाली में कई अणु मशीन हैं, जो प्रोटीन की मदद से कई ज़रूरी काम करती हैं. मांसपेशियों का सिकुड़ना भी प्रोटीन मोटर की मदद से ही होता है. ये गाड़ी एक आसान उदाहरण है इस बात का कि हम अणु की मदद से कुछ भी हासिल कर सकते हैं."
डॉक्टर टिबोर कुडरनाक
इससे पहले भी अणु से चलने वाली काफ़ी चीज़ों को सामने लाया गया है.
नीदरलैंड में ट्वेंट विश्वविद्यालय के केमिस्ट टिबोर कुडरनाक ने कहा, “अगर आप अपने आस-पास देखें तो हर जैविक प्रणाली में कई अणु मशीन हैं, जो प्रोटीन की मदद से कई ज़रूरी काम करती हैं. मांसपेशियों का सिकुड़ना भी प्रोटीन मोटर की मदद से ही होता है. ये गाड़ी एक आसान उदाहरण है इस बात का कि हम अणु की मदद से कुछ भी हासिल कर सकते हैं.”
हालांकि डॉक्टर कुडरनाक ये भी कहते हैं कि ऐसी कारों को देखने के लिए लोगों को लंबा इंतज़ार करना पड़ेगा.
उनका कहना था कि उनका पहला लक्ष्य इस तकनीक को संभव बनाना और उसका टेस्ट ड्राइव करने का था

latest Car


तैयार है दुनिया की उड़ने वाली पहली का

 सोमवार, 9 अप्रैल, 2012 को 16:08 IST तक के समाचार
एक अमरीकी कंपनी टेराफ़्यूजिया ने न्यूयॉर्क के इंटरनेशनल ऑटो शो में एक ऐसी कार प्रदर्शित की है जो ज़मीन पर चलने के अलावा हवा में उड़ भी सकती है.
टेराफ़्यूजिया के वाइस प्रेसिडेंट क्लिफ़ एलन के अनुसार ये पहली कार है जो फ़ेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफ़एए) और नेशनल हाईवे ट्रैफ़िक सेफ़्टी एडमिनिस्ट्रेशन (एनएचटीएसए) दोनों एजेंसियों की गुणवत्ता ज़रुरतों को पूरा करती है.
उन्होंने कहा कि इस तरह से ये पहली कार वैध कार बन गई है जो उड़ान भी भर सकती है.
इस वाहन को ट्रांज़िशन के नाम से पुकारा जा रहा है. इसमें चार चक्के हैं, दो लोगों के बैठने की जगह है और इसके पंख मोड़कर बंद किए जा सकते हैं.
उम्मीद की जा रही है कि अगले साल से ये बाज़ार में उपलब्ध हो जाएगी और इसकी क़ीमत दो लाख 79 हज़ार डॉलर यानी एक करोड़ 43 लाख 17 हज़ार 675 रुपए होगी.

परीक्षण उड़ान और चुनौतियाँ

इस कार को फिलहाल एफ़एए से परीक्षण का सर्टिफ़िकेट मिला हुआ है यानी ये कार अमरीका में परीक्षण के लिए उड़ान भर सकती है.
कंपनी को उम्मीद है कि उसे आने वाले समय में हल्के स्पोर्ट्स एयरक्राफ़्ट का लाइसेंस भी मिल जाएगा.
उड़ने वाली कार
इसके उड़ान भरने और उतरने के समय चारों चक्कों का उपयोग एक चुनौती है
इस हाइब्रिड वाहन ने कनाडा के मॉन्ट्रियल के पास प्लैट्सबर्ग इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पिछले महीने ही परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की थी.
अमरीकी एयरफ़ोर्स के एक टेस्ट पायलट ने इस परीक्षण के लिए अपनी सेवाएँ दी थीं.
परीक्षण के दौरान इस वाहन ने 14 सौ फुट की ऊँचाई पर आठ मिनट तक उड़ान भरी थी.
हालांकि अभी कई विवरण मिलने शेष हैं, जैसे कि ये विमान अधिकतम कितनी गति से उड़ान भर सकता है आदि.
टेराफ़्यूजिया कंपनी के एक इंजीनियर डॉ सैमुअल श्वेगार्ट के अनुसार सड़कों पर चलने वाले एक वाहन को उड़ने वाले वाहन में तब्दील करने में डिज़ाइन की कई चुनौतियाँ थीं.
उन्होंने कहा, "हम ये उत्सुकता के साथ देख रहे थे कि ये उड़ान कैसे भरता है. चूंकि इसे एक सामान्य कार की तरह डिज़ाइन किया गया है, यह किसी विमान की तरह अपने पिछले पहिए के बल पर नहीं चल सकता था."
इंजीनियरों ने ये भी महसूस किया कि इस कमी की वजह से ट्रांज़िशन को उड़ान भरने के लिए सामान्य से अधिक गति की ज़रुरत होती है.
डॉ श्वेगार्ट का कहना है कि ये शिकायतें भी आईं कि उतरते समय भी तगड़ा झटका लगता है, लेकिन ये सब चिंता का विषय नहीं हैं.

ईंधन की खपत

डॉ श्वेगार्ट का कहना है कि इस वाहन में किसी भी साधारण पेट्रोल पंप में ही जाकर 91-ऑक्टेन वाला पेट्रोल डलवाया जा सकता है.
इसके टैंक में 87 लीटर पेट्रोल आ सकता है.
उड़ने वाली कार
उड़ने वाली कार ज़मीन पर किसी सामान्य कार की तरह गैरेज में खड़ी की जा सकेगी
सड़क पर ट्रांज़िशन 14.92 किलोमीटर प्रति लीटर ईंधन खपत करता है जबकि उड़ान भरते हुए ईंधन की खपत 11.89 किलोमीटर प्रति लीटर होती है.
यानी एक बार पेट्रोल टैंक भरने के बाद यह एक हज़ार किलोमीटर से अधिक की यात्रा की जा सकती है.
हालांकि इसे किसी भी साधारण गैरेज में रखा जा सकता है, लेकिन उड़ान भरने के लिए इसे 17 सौ फुट यानी क़रीब आधे किलोमीटर का रनवे चाहिए होता है.
कंपनी का कहना है कि इसमें कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि अमरीका में पाँच हज़ार सरकारी एयरपोर्ट हैं और इसके अलावा पाँच हज़ार निजी रनवे भी हैं. निजी रनवे का मतलब ये भी हो सकता है कि वह किसी किसान के खेतों के बीच खुली ज़मीन हो.
टेराफ़्यूजिया का कहना है कि आमतौर पर लोग किसी निजी उड़ान पर आधे घंटे से ज़्यादा दूरी की उडा़न नहीं भरते हैं और ऐसे लोगों के लिए फ़ोरफ़्लाइट जैसे ऐप्स हैं जो निकटतम रनवे और उनकी उपलब्धता के बारे में जानकारियाँ दे सकती हैं.
बाज़ार के बारे में कंपनी का कहना है कि मौजूदा पायलट ही उनके ख़रीददार हो सकते हैं लेकिन वे ऐसे लोगों पर भी नज़र लगाए हुए हैं जिनका संबंध विमानन से नहीं रहा है.
कंपनी के पास सौ के क़रीब अग्रिम ऑर्डर हैं और इसका मतलब है कि मैसाच्युसेट्स के उनकी छोटी फ़ैक्ट्री में इतने वाहन बनाने में दो से तीन वर्ष का समय लगेगा
  • Invite and Win Free Recharge