Wondershare DVD Slideshow Builder Deluxe 6.1.12.0 Full Version

                       Wondershare DVD Slideshow Builder Deluxe 6.1.12.0


Do you take most of your photographs and shoot videos when on holidays or at festive events? We've been working on how to get the very best out of your photo memories by adding transition effects and DVD menus that match the occasion perfectly. Gather up your favorite photos and videos, combine with music, set background pictures, choose from 100+ DVD menu templates, easily create a unique and personalized home movie for any occasion. With the improved DVD Slideshow Builder 5, you can instantly add videos from TV card and webcam, combine photos with smoother 2D/3D transition effects, and make DVD slideshow with motion menus to amaze family and friends. Action now to enjoy the better video experience.

Features

Add All Contents Instantly
• Add video from disk and capture video from TV card and Webcam easily
• Add up to 1024 photos / videos in one slideshow
• Sort slideshows in designed order.
• Drag and drop to easily add content to a show
• Support more input (GIF, TIF) and output formats ( MOV, FLV and ASF).
• Create more than one soundtrack by adding MP3, WMA or WAV file to slideshow

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हम कब, क्यों और कैसे चाँद पर बस्तियां बसाएंगे


चार दशक पहले अपोलो अभियानों के बाद इंसान के ज़ेहन में चाँद पर बस्तियां बसाने का विचार आया जो अभी तक विज्ञान की कल्पित-कथाओं का विषय बना हुआ है.
लेकिन अंतरिक्ष-विज्ञानी फिल प्लेट का तर्क है कि मुद्दा ये नहीं है कि इंसान वहां रह पाएगा या नहीं, बल्कि ये है कि वो वहां क्यों रहना चाहता है और कैसे रहेगा
क्या इंसान एक बार फिर चाँद की सतह पर चहलकदमी करेगा, मुझे हां कहने में कोई संकोच नहीं है क्योंकि ये भविष्य की बात है और 1950 के दशक में कौन यह भविष्यवाणी करने का साहस जुटा पाया था कि हम बीस साल के भीतर चाँद की ज़मीन पर अंतरिक्ष यान उतार देंगे.
लेकिन इस मामले में जबाव संभवत: उतना रोचक नहीं होगा जितना ये सवाल रोचक है कि हम कब, क्यों और कैसे चाँद पर बस्तियां बसाएंगे?
मैं ऐसे कई संभावित परिदृश्यों के बारे में सोच सकता हूं जिनकी वजह से हम चाँद पर बस्तियां बसाएंगे, जैसे अर्थव्यवस्था में इतना जबर्दस्त उछाल आए कि हम महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रमों में पैसा लगा सकें, जिसकी लागत अपेक्षाकृत कम हो या फिर ऐसा हो कि चाँद पर बड़ी मात्रा में प्राकृतिक संसाधन खोज निकाले जाएं.
ऐसे में ये एक बेहतर सवाल होगा कि चाँद पर इंसानी बस्ती बसाने का संभावित तरीका क्या होगा. आज हमारे पास जो जानकारी मौजूद है, उसके आधार पर इस संभावना के बारे में मेरे पास एक विचार है.

चाँद ही क्यों?

बस्तियां बसाने के लिए हम चाँद पर ही क्यों जाएं? अंतरिक्ष अन्वेषण की पहल के लगभग 60 वर्ष के इतिहास में इसका जवाब स्वाभाविक है कि हमारे पास संचार के साधन हैं, हम मौसम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं, जलवायु परिवर्तनों को समझ सकते हैं,

हमारे पास ग्लोबल पोज़िशनिंग तकनीक है, धरती और इसके पर्यावरण के बारे में गहन जानकारी और संभावित आपदाओं की चेतावनी हैं.
तकनीक दिनोदिन उन्नत हो रही हैं. इन्फ्रा-रेड इयर थर्मामीटर और एलईडी आधारित उपरकरण बन रहे हैं जो चाँद पर मददगार साबित होंगे.
इसलिए अंतरिक्ष अन्वेषण न केवल एक उम्दा विचार है बल्कि इसने धरती पर जीवन में भी कुछ वास्तविक बदलाव कर दिए हैं. हम चाँद पर पहले ही छह बार हो आए हैं.
अपोलो 17 मिशन सबसे अधिक तीन दिनों तक चाँद पर रहा था जहां 3.8 करोड़ वर्ग किलोमीटर जमीन है जहां इमारतें बनाई जा सकती हैं.

मनमोहक और दिलचस्प है चाँद

विज्ञान के नज़रिए से देखें तो चाँद बड़ा मोहक और दिलचस्प है. वैसे तो हमें पक्के तौर पर पता है कि अरबों साल पहली हुई कुदरती उथल-पुथल से धरती से जो टुकड़े निकले, चाँद उन्हीं से बना है.
इसमें कोई संदेह नहीं कि चाँद पर जाना बड़ा खर्चीला है. अनुमानित लागत लगभग 35 अरब डॉलर है. वैसे ये भी ध्यान देने वाली बात है कि इंसान वहां जाने के बाद वहीं मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल करने लगेगा तो दीर्घकाल में पैसे की बचत ही होगी.
हम जानते हैं कि चाँद पर बड़ी मात्रा में बर्फीला पानी है और चट्टानों में ऑक्सीजन कैद है. इसलिए चाँद के भावी नागरिकों के लिए हवा और पानी की जरूरतें पूरी की जा सकती हैं. इस दिशा में काफी काम पहले ही हो चुका है और आगे भी संभावनाएं अच्छी नज़र आती हैं.
चाँद पर जाने की अन्य वजहें हैं- वहां हीलियम से बड़ी सस्ती ऊर्जा के दोहन की क्षमता है. पर्यटन की संभावनाएं तो हैं हीं.
सूर्य का चक्कर लगाते हुए मंगल और वृहस्पति ग्रह के बीच अरबों उल्का-पिंड घूम रहे हैं, कई ऐसी चट्टानें चक्कर लगा रही हैं जिनका आकार फुटबॉल के बराबर और इससे कई गुना बड़ा भी है. इनमें से अधिकतर चट्टानों में पानी, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और कई तरह की मूल्यवान धातुएं भी हैं.
प्लेनेटरी रिसोर्सेज़ नामक एक कंपनी इनका दोहन करने की अपनी योजनाओं की घोषणा पहले ही कर चुकी है जिनका इस्तेमाल भावी अंतरिक्ष अभियानों के लिए किया जाएगा. काम खर्चीला है लेकिन दीर्घकाल में इससे मुनाफे की उम्मीद है.
उल्का-पिंडों से काम की चीजें कैसे निकाली जाएं, नासा इस पर अध्ययन कर रहा है. एक विचार ये है कि इस सामग्री का इस्तेमाल कम लागत पर अंतरिक्ष में किसी तरह का ढांचा खड़ा करने में किया जा सकता है.
हमें अंतरिक्ष में जाने का सस्ता और सुलभ जरिया चाहिए. हाल में ही स्पेस एक्स फॉल्कन 9 रॉकेट और ड्रेगन कैप्सूल को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना किया गया. ये दो कदम बड़े मददगार साबित हो सकते हैं. चीन, भारत और रूस अंतरिक्ष में अपने पांव पसारने के लिए बड़े जतन कर रहे हैं


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